Zoho का Arattai App: भारत का अपना सुरक्षित और शक्तिशाली चैटिंग प्लेटफ़ॉर्म और व्हाट्सएप का देसी कॉम्पटीटर

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 परिचय: Made in India मैसेजिंग ऐप की नई पहचान डिजिटल युग में जब हमारी बातचीत, बिज़नेस, और रिश्ते सब कुछ ऑनलाइन शिफ्ट हो चुके हैं, तब मैसेजिंग ऐप्स हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन गए हैं। WhatsApp, Telegram, और Signal जैसे ऐप्स ने दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई है, लेकिन भारत में अब एक नया नाम तेजी से उभर रहा है — Zoho का Arattai App। "Arattai" एक तमिल शब्द है, जिसका मतलब होता है "बातचीत" या "चैट"। यह ऐप पूरी तरह से भारत में बना हुआ (Made in India) है और इसे भारतीय टेक कंपनी Zoho Corporation ने डेवलप किया है — जो अपने बिज़नेस सॉफ़्टवेयर और प्रोडक्टिविटी टूल्स के लिए दुनियाभर में जानी जाती है। Arattai App क्या है? Arattai App एक फ्री और सिक्योर चैटिंग एप्लिकेशन है जो आपको अपने दोस्तों, परिवार, या ऑफिस टीम से जुड़ने की सुविधा देता है। यह एंड्रॉइड और iOS दोनों प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध है और इसका उद्देश्य है — भारतीय यूज़र्स को एक ऐसा प्राइवेसी-फोकस्ड और एड-फ्री चैटिंग अनुभव देना जो पूरी तरह देश में डेवलप और होस्टेड हो। जहां एक ओर विदेशी ऐप्स यूज़र्स के डेटा को स्टो...

धरती पर करोड़ वर्षों तक राज करने वाले डायनासोरों का अंत कैसे हुआ ?

डायनासोर व उनका रहस्यमय अंत 

डायनासोर, जिनका वैज्ञानिक नाम डायनासोरिया होता है डायनासोरिया लैटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है भयानक तथा बड़ी छिपकली,डायनासोर को हिंदी में भीमसरट कहा जाता है डायनासोर वो विशालकाय जीव थे जिन्होंने 16 करोड़ वर्षों से भी अधिक समय तक धरती पर एकक्षत्र राज किया  था ये विशालकाय जीव ट्राईएसिक युग के अंत से लेकर क्रेटेशियस युग के अंत तक अस्तित्व में रहे इसके बाद ये विलुप्त होते चले गए इनके विलुप्त होने के विद्वानों द्वारा अनेकों कारण बताए गए जिनमें से अनेकों कारणों का वर्णन आगे किया गया है।



उल्कापिंडों का धरती पर गिरना

कहानी शुरू होती है लगभग 6.5 करोड़ साल पहले, जब एक विशालकाय उल्कापिंड (asteroid) पृथ्वी की ओर तेज़ी से बढ़ रहा था। इसकी चौड़ाई थी करीब 10–12 किलोमीटर — यानी लगभग एक पहाड़ जितनी बड़ी चट्टान! एक दिन, यह उल्कापिंड मैक्सिको के पास स्थित युकाटन प्रायद्वीप से आ टकराया। टकराव इतना भयंकर था कि लगभग 10 अरब हिरोशिमा बमों के बराबर ऊर्जा निकली। आसमान में धूल और राख भर गई, सूरज की रोशनी धरती तक नहीं पहुँच सकी। तापमान गिर गया। पौधे मुरझा गए। भोजन श्रृंखला टूट गई। और धीरे-धीरे, पृथ्वी के सबसे शक्तिशाली जीव — डायनासोर — इस धरती से हमेशा के लिए लुप्त हो गए। 

धरती पर बड़ी संख्या में ज्वालामुखीय विस्फोट

कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि उस उल्का के साथ-साथ पृथ्वी पर ज्वालामुखी विस्फोटों की एक लंबी शृंखला भी चली— खासकर भारत के डेक्कन ट्रैप्स में उसी दौरान हमेशा लावा बह रहा था — यह प्रक्रिया हज़ारों वर्षों तक चलती रही। इन ज्वालामुखी गतिविधियों ने पृथ्वी के वातावरण को बहुत हद तएक परिवर्तित कर दिया जहां पर गर्मियां और भी गर्म और सर्दियां और भी ठंडी हो गईं और इन बदलावों का प्रभाव भारी-भरकम जीव जंतु जिनमें विशेषकर डायनासोर थे –जीवित नहीं रह पाए।

डायनासोरों की वर्तमान प्रजातियां 

हर डायनासोर नहीं मरा। कुछ छोटे आकार की प्रजातियाँ जिनमें पंख जैसे अंग थे, वे किसी तरह बच गईं। आज के पक्षी — कबूतर से लेकर मोर तक — इन्हीं बचे हुए डायनासोरों के वंशज हैं!

कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

1. टी-रेक्स के दांत एक केले जितने बड़े होते थे!


2. दुनिया का सबसे बड़ा डायनासोर का जीवाश्म अर्जेंटीना में मिला है — इसका वज़न एक बोइंग 737 विमान के बराबर था।


3. "डायनासोर" शब्द का अर्थ है: "भयानक छिपकली"


4. पक्षियों को अब "जीवित डायनासोर" माना जाता है।


5. अगर वो उल्कापिंड 30 मिनट पहले या बाद टकराता, तो शायद समुद्र में गिरता — और डायनासोर आज भी जीवित होते!




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