क्या AI रोबोट्स इंसानों के लिए खतरा बन सकते है ?

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 नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपके अपने ब्लॉग रीड मी भारत में,तो दोस्तो आज का लेख AI रोबोट्स और उनसे मानव के लिए उत्पन्न खतरों पर आधारित है एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) रोबोट्स इंसानों के लिए कुछ हद तक खतरा बन सकते हैं, लेकिन यह कई बातों पर निर्भर करता है—जैसे कि एआई किस प्रकार की है, उसका उपयोग किस उद्देश्य से हो रहा है, और उस पर कितनी मज़बूत निगरानी या नियंत्रण है। एआई रोबोट्स से जुड़े संभावित खतरे 1.शारीरिक खतरे (जैसे दुर्घटना या तकनीकी खराबी): यदि एआई रोबोट्स में कोई त्रुटि या खराबी आ जाए, तो वे इंसानों को शारीरिक नुकसान पहुँचा सकते हैं। कुछ मामलों में ऐसा देखा भी गया है—जैसे एक यूनिट्री (Unitree) रोबोट ने एक तकनीकी खराबी के चलते अचानक अनियमित रूप से हिलना-डुलना शुरू कर दिया, जिससे आस-पास के लोगों को खतरा हुआ।1. 2.स्वचालित हथियार: सेना में एआई का उपयोग अत्याधुनिक हथियारों में किया जा रहा है। यदि ये हथियार बिना मानवीय नियंत्रण के निर्णय लेने लगें, तो यह गंभीर चिंता का विषय हो सकता है। इनके गलत इस्तेमाल या खराबी से जानलेवा परिणाम हो सकते हैं। 3.साइबर सुरक्षा जोखिम: एआई रोबोट्स को ...

धरती पर करोड़ वर्षों तक राज करने वाले डायनासोरों का अंत कैसे हुआ ?

डायनासोर व उनका रहस्यमय अंत 

डायनासोर, जिनका वैज्ञानिक नाम डायनासोरिया होता है डायनासोरिया लैटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है भयानक तथा बड़ी छिपकली,डायनासोर को हिंदी में भीमसरट कहा जाता है डायनासोर वो विशालकाय जीव थे जिन्होंने 16 करोड़ वर्षों से भी अधिक समय तक धरती पर एकक्षत्र राज किया  था ये विशालकाय जीव ट्राईएसिक युग के अंत से लेकर क्रेटेशियस युग के अंत तक अस्तित्व में रहे इसके बाद ये विलुप्त होते चले गए इनके विलुप्त होने के विद्वानों द्वारा अनेकों कारण बताए गए जिनमें से अनेकों कारणों का वर्णन आगे किया गया है।



उल्कापिंडों का धरती पर गिरना

कहानी शुरू होती है लगभग 6.5 करोड़ साल पहले, जब एक विशालकाय उल्कापिंड (asteroid) पृथ्वी की ओर तेज़ी से बढ़ रहा था। इसकी चौड़ाई थी करीब 10–12 किलोमीटर — यानी लगभग एक पहाड़ जितनी बड़ी चट्टान! एक दिन, यह उल्कापिंड मैक्सिको के पास स्थित युकाटन प्रायद्वीप से आ टकराया। टकराव इतना भयंकर था कि लगभग 10 अरब हिरोशिमा बमों के बराबर ऊर्जा निकली। आसमान में धूल और राख भर गई, सूरज की रोशनी धरती तक नहीं पहुँच सकी। तापमान गिर गया। पौधे मुरझा गए। भोजन श्रृंखला टूट गई। और धीरे-धीरे, पृथ्वी के सबसे शक्तिशाली जीव — डायनासोर — इस धरती से हमेशा के लिए लुप्त हो गए। 

धरती पर बड़ी संख्या में ज्वालामुखीय विस्फोट

कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि उस उल्का के साथ-साथ पृथ्वी पर ज्वालामुखी विस्फोटों की एक लंबी शृंखला भी चली— खासकर भारत के डेक्कन ट्रैप्स में उसी दौरान हमेशा लावा बह रहा था — यह प्रक्रिया हज़ारों वर्षों तक चलती रही। इन ज्वालामुखी गतिविधियों ने पृथ्वी के वातावरण को बहुत हद तएक परिवर्तित कर दिया जहां पर गर्मियां और भी गर्म और सर्दियां और भी ठंडी हो गईं और इन बदलावों का प्रभाव भारी-भरकम जीव जंतु जिनमें विशेषकर डायनासोर थे –जीवित नहीं रह पाए।

डायनासोरों की वर्तमान प्रजातियां 

हर डायनासोर नहीं मरा। कुछ छोटे आकार की प्रजातियाँ जिनमें पंख जैसे अंग थे, वे किसी तरह बच गईं। आज के पक्षी — कबूतर से लेकर मोर तक — इन्हीं बचे हुए डायनासोरों के वंशज हैं!

कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

1. टी-रेक्स के दांत एक केले जितने बड़े होते थे!


2. दुनिया का सबसे बड़ा डायनासोर का जीवाश्म अर्जेंटीना में मिला है — इसका वज़न एक बोइंग 737 विमान के बराबर था।


3. "डायनासोर" शब्द का अर्थ है: "भयानक छिपकली"


4. पक्षियों को अब "जीवित डायनासोर" माना जाता है।


5. अगर वो उल्कापिंड 30 मिनट पहले या बाद टकराता, तो शायद समुद्र में गिरता — और डायनासोर आज भी जीवित होते!




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