क्या AI रोबोट्स इंसानों के लिए खतरा बन सकते है ?

झंडे आज के समय में किसी भी देश, संगठन या आंदोलन की पहचान बन चुके हैं। वे न सिर्फ राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक होते हैं, बल्कि उनके रंग, चिन्ह और आकार में एक गहरा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदेश छिपा होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि झंडों का उपयोग सबसे पहले किन देशों ने शुरू किया था?
झंडों का इतिहास हजारों साल पुराना है। प्राचीन सभ्यताओं ने युद्ध के मैदान में सेनाओं को संगठित करने और पहचानने के लिए झंडों या ध्वजों का प्रयोग किया। सर्वप्रथम जिन क्षेत्रों में झंडों का उपयोग देखा गया, वे थे:
चीन में झंडों का उपयोग ईसा पूर्व 11वीं सदी में झोउ वंश (Zhou Dynasty) के समय से होता आ रहा है। तब के झंडे मुख्यतः सैन्य झंडे होते थे जिनमें जानवरों या प्रतीकों की आकृतियाँ होती थीं। युद्ध के मैदान में यह ध्वज कमांडरों और उनके सैनिकों की पहचान का प्रमुख माध्यम था।
प्राचीन रोमन साम्राज्य में "वेक्सिलम" (Vexillum) नामक ध्वज का उपयोग होता था। यह एक कपड़े का टुकड़ा होता था जो एक क्षैतिज क्रॉसबार से लटका होता था। रोमनों ने इस ध्वज का उपयोग सैन्य दलों को व्यवस्थित करने, सेनापति की पहचान दर्शाने और संदेश संप्रेषित करने के लिए किया।
प्राचीन भारत में भी ध्वजों का उल्लेख मिलता है। महाभारत और रामायण जैसी ग्रंथों में रथों पर ध्वज लहराने का वर्णन है। विभिन्न राजवंशों और योद्धाओं की पहचान उनके ध्वजों के माध्यम से होती थी। मौर्य, गुप्त और मुग़ल काल में ध्वज का प्रयोग सैन्य और शाही प्रतीक के रूप में होता रहा।
विश्व का सबसे पुराना लगातार उपयोग में आने वाला राष्ट्रीय झंडा डेनमार्क का "Dannebrog" है। इसका पहली बार उपयोग 1219 ईस्वी में हुआ माना जाता है। यह एक लाल झंडा है जिसमें सफेद क्रॉस बना होता है और इसे ईसाई धर्म का प्रतीक माना जाता है।
17वीं शताब्दी में डच गणराज्य ने भी अपने राष्ट्रीय झंडे का उपयोग शुरू किया था। इसका डिज़ाइन फ्रांस और रूस के झंडों पर भी प्रभाव डालता है।
झंडों का इतिहास केवल कपड़े के टुकड़े तक सीमित नहीं है, यह सभ्यताओं, युद्धों, धार्मिक आस्थाओं और राष्ट्रीय गौरव से गहराई से जुड़ा हुआ है। चीन, रोम, भारत जैसे प्राचीन देशों ने जहां झंडों का उपयोग सैन्य संगठनों के लिए किया, वहीं डेनमार्क और नेदरलैंड्स जैसे आधुनिक देशों ने राष्ट्रीय प्रतीकों के रूप में इन्हें अपनाया। आज के समय में झंडा किसी भी देश की संप्रभुता, एकता और संस्कृति का प्रतीक बन चुका है।
Comments
Post a Comment